बाहुबली सीरीज की दोनों फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर धमाकेदार कमाई की और खूब सफलता हासिल की। अब वेब सीरीज बाहुबली – बिफोर द बिगनिंग की बारी है। मशहूर लेखक आनंद नीलकंठन के उपन्यास राइज ऑफ शिवगामी पर बन रही वेब सीरीज का एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है, जिसमें पता चला कि इस वेब सीरीज में महिष्मति साम्राज्य के अमरेंद्र बाहुबली और महेंद्र बाहुबली दोनों ही नजर नहीं आएंगे।
वेब सीरीज की कहानी इस बात आधारित होगी कि अमरेंद्र बाहुबली की हत्या करवाकर महेंद्र बाहुबली को राज्य का उत्तराधिकारी बनाने वाली शिवगामी कौन है और वह माहिष्मती साम्राज्य में कहां से आती है और कैसे उसकी शादी बिज्जालदेव के साथ होती है। इस वेब सीरीज में 7 मुख्य किरदार होंगे। चलिए जानते हैं उनके बारे में
शिवगामी
सीरीज में शिवगामी के जन्म से लेकर जवानी तक की कहानी दिखाई जाएगी। शिवगामी एक तेज दिमाग वाली लड़की है, जिसका जन्म माहिष्मती के एक मशहूर शख्स देवराया के घर पर होता है। बाद में देवराया को देशद्रोह के आरोप में मृत्यु दंड दे दिया जाता है।
कटप्पा
वेब सीरीज में कटप्पा साल की नजर आएंगे और साथ ही उनके छोटे भाई शिवप्पा और पिता मलयप्पा भी दिखाई देंगे।
शिवप्पा
शिवप्पा अपने भाई कट्टप्पा से बिल्कुल अलग है। उसको दास परिवार में जन्म लेने का बहुत दुख है और वह इससे स्वतंत्र होना चाहता है। शिवप्पा शिवगामी की सहेली कामाक्षी से प्रेम है।
राजकुमार महादेव
आपने बाहुबली सीरीज की दोनों फिल्मों में अमरेंद्र बाहुबली और महेंद्र बाहुबली के बारे में तो जान लिया होगा। लेकिन इनके दादा कौन थे? इसका खुलासा इस वेब सीरीज में होगा महाराज सोमदेव के दो पुत्र हुए, जिनमें बड़ा बेटा बिज्जालदेव चाटुकारों से घिरा रहता है। जबकि छोटा बेटा महादेव माहिष्मती साम्राज्य का दुलारा राजकुमार है और बहुत ही चतुर और चालाक है।
केकी
वेब सीरीज में माहिष्मती साम्राज्य का एक रहस्यमई कुनबा देखने को मिलेगा, जो किन्नरों का है और इस कुनबा की मुखिया किन्नर देवदासी कलिका है और कलिका की सबसे विश्वासपात्र किन्नर केकी होगी।
हिडुम्बा
हिडुम्बा इस सीरीज का बहुत ही खतरनाक किरदार है, जो बौना है। हिडुम्बा राज्य प्रशासन के मुख्य प्रधान से एक पदवी नीचे है और उसे यही लगता है कि अगर वह बौना ना होता तो एक दिन मुख्य प्रधान बन जाता।
महाराजा सोमदेव
इस सीरीज की कहानी माहिष्मती के महाराजा सम्राट सोमदेव से शुरू होती है, जिनकी समाज में काफी प्रतिष्ठा है। वह परंपराओं के पालक और पोषक है और लोग उनका बहुत सम्मान करते हैं।
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